Wednesday, March 31, 2010

इज़हार नहीं मिलता...

जाने क्यों बन गए तेरे इश्क में दीवाने,
बड़े प्यार से संभाले हैं सभी तेरे परवाने।
समझ न सके थे इस मोहब्बत को अब तक,
तेरे इश्क से थे हम बिलकुल ही अनजाने।

बदनसीब वो नहीं जिन्हें प्यार नहीं मिलता,
मिलता है प्यार पर इज़हार नहीं मिलता।
बिखरे रहते हैं पलाश के फूल हर तरफ,
ज़िन्दगी भर वो गुलाब नहीं मिलता।

खुद से खुद ही छिन जाते हैं आजकल,
ख़याल उनके रुलाते हैं आजकल।
लोग कहते हैं कि बात क्या है?
कैसे बताएं, कितने तन्हा हैं आजकल?

इस इश्क ज़ालिम ने, कहीं का न छोड़ा,
नज़रों से दूर, दिल के करीब एक रिश्ता जोड़ा।
डूबे हैं उनकी याद, उनके प्यार में,
हुआ है प्यार और बाकी है थोडा।

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