आज फिर से तेरी याद मेरी आँखों को छू गयी,
तेरी वो हर बात, फिर दिल में उतर गयी।
सोचा था तुझको भूलना, आसान बहुत होगा,
तू याद बन कर आई, और आँखें छलक गयी।
पागल किया था तूने पहली मुलाक़ात में,
तू ही तू थी छायी, दिन में और रात में।
दिल में बसी थी तू, तुझे पाने का जूनून था,
देख तेरी मुस्कान, मेरी ज़िन्दगी बदल गयी।
आज भी करता हूँ उस दिन की मैं चाहत,
चलेंगी मेरी सांसें, सुन के तेरी आहट।
तेरी पायल की छन-छन मेरे कानों में पड़ गयी,
और आज मेरी रूह मेरे तन से निकल गयी।
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बहुत खूबसूरत....ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है...
ReplyDeleteचन्दर मेहेर
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
अच्छी रचना। बधाई। ब्लॉगजगत में स्वागत।
ReplyDeleteआज फिर से तेरी याद मेरी आँखों को छू गयी,
ReplyDeleteतेरी वो हर बात, फिर दिल में उतर गयी।
सोचा था तुझको भूलना, आसान बहुत होगा,
तू याद बन कर आई, और आँखें छलक गयी।
Behad sundar rachna!
आज भी करता हूँ उस दिन की मैं चाहत,
ReplyDeleteचलेंगी मेरी सांसें, सुन के तेरी आहट।
तेरी पायल की छन-छन मेरे कानों में पड़ गयी,
और आज मेरी रूह मेरे तन से निकल गयी।
Dard se labrez rachana!
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है... हिंदी में आपका लेखन सराहनीय है, इसी तरह तबियत से लिखते रहिये.
ReplyDeleteइस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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