इस दिल ने हमें बहुत आज़माया है,
कभी है हसाया, कभी कभी रुलाया है।
दिन का छीना चैन और रातों को जगाया है,
आज किया याद उन्हें, तो यह गीत गाया है।
बेबस हैं हम, लाचार उनको पाया है,
हर घड़ी-हर लम्हा, जान पर बन आया है।
हर दिन बढ़ रही है चाहत यह, दीवाने हम हुए,
सिर्फ हम ही जानते हैं, इस दिल पे काबू कैसे पाया है।
उस दिन का इंतज़ार तो यह कुदरत भी करती होगी,
आमने सामने, बैठे हम दो, और चाँद निकल के आया है।
इस नादान ज़माने को कैसे हम समझाएं,
उस यार के चेहरे में, वो प्यार हमनें पाया है।
Tuesday, March 30, 2010
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