आज झूम के मुझको तेरी बाहों में गिर जाने दे,
आँखें बंद कर के मुझे फिर मुस्कुराने दे।
सदियाँ बीत गयी हमें तेरे दामन में सोये,
तेरे छूने के अहसास को है यादों में सँजोये।
तेरे जाने के दिन से आँखे होश में नहीं आई,
एक तरफ तेरा साया और तेरी यादों की परछाई।
वो पहली मुलाक़ात आज भी है नज़रों में,
मुड़ मुड़ के आती है तू आज भी मेरे सपनो में।
सोचा था तुझे भूलना आसान बहुत होगा,
पर एक बार फिर किस्मत ने किया है धोखा।
हमारे इश्क के चर्चे आज भी शहर में होते हैं,
आज भी तेरे ख़त मेरे सीने लग-लग रोते हैं।
दिल बैठ जाता है जब सोचते हैं तेरे बारे,
हर शक्स लगता अजनबी, हर गली हर चौबारे।
बारिश में जब तू छत पर मिलने आती थी,
तेरी पायल की छन छन पानी में भी आग लगाती थी
तुझे वापस बुलाने को हर हद से गुज़र जाना है,
तेरी बाहों में गिर के मुझे फिर मुस्कुराना है।
Friday, April 30, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Harek pankti,harek shabd dilkash!
ReplyDeleteise to kehte hai saccha pyaar...
ReplyDeletevarna kaha se tumne sentence ko...
keyword ki mala me peroya hai...