Saturday, January 23, 2010

सपने बहुत सजाये मैंने

सपने बहुत सजाये मैने, धोखे बहुत हैं खाए मैंने.
जाने अनजाने में जाने क्यों, दिल में दर्द छुपाये मैंने।

जब भी कोई दुःख आया, आंसू बहुत बहाए मैंने,
अपनों का कभी साथ न छोड़ा, अपनों को कभी न रुलाया मैंने।

जीवन पथ पर जब कभी, अकेलापन छाने लगा,
याद किया दिलनशीं पलों को, आगे कदम बढ़ाये मैंने।

क्या दिन, क्या रात, हर पल उसे बुलाया मैंने।
साथ उसका चाहा, चाहत के दिए जलाए मैंने।

सपने बहुत सजाये मैंने, धोखे बहुत हैं खाए मैंने.

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