Thursday, January 21, 2010

तुम्हें आना पड़ेगा

ग़म के अँधेरे में उजाले की तलाश है।
कैसे भुलाएँ उसे, चेहरा वो ख़ास है।
क्यों यादें पुरानी आती हैं पर जाती नहीं?
चाँद की रौशनी क्यों मुझे लुभाती नहीं।
उदासी है छायी और आँखें हैं नम।
यह तेरा मेरा प्यार आखिर क्यों हुआ कम?
किस गलती की सज़ा है यह मुझे मिली?
ज़िन्दगी मेरी तन्हाई की आग में है जली।
तेरे बारे में दुनिया चाहे जो भी कहे,
दिल कहता है की तेरा प्यार मुझे ही मिले।
ये बंधन जो बाँधा वो निभाना पड़ेगा,
तुम चाहो चाहो, तुम्हे आना पड़ेगा,
आज नहीं तो कल, तुम्हें आना ही पड़ेगा।

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