आसमां झुक जाए, इस दिल से जो इक आरज़ू निकले।
धरती हो जाए नम, इन आँखों से जो आंसू निकले।
उनके जुल्मों को सह कर भी, हम क्यों आज हसें?
लाख चोट खा कर भी यह दिल क्यों पिघले?
उन यादों के सहारे है यह मेरा दिल धडके।
जीना है मुश्किल हो गया, यूँ जल जल के।
ना वो जाने की इस सांस का कारण क्या है।
और ना मैं जानूँ, क्या कहूँ उनसे मिलके।
सूने सूने इस जहां में, कहाँ जा रहा मैं चलके?
आज कैसे वो हैं जी रहे, मुझसे बिछड़ के।
कल राह में चलते चलते वो मिल जाएँगे,
और पूछेंगे मुस्कुरा कर, कि ये आंसू क्यों निकले?
Thursday, February 4, 2010
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