Friday, August 13, 2010

रोया मैं तब-तब तू याद जब-जब आती थी..

इस दिल के कोने में इक आरज़ू थी, इक ख्वाहिश थी और इक कशमकश थी .
आज छम से गिर गयी, मेरी आँखों के दर पर जो एक बूँद बैठी थी.

तुझे गले से लगाने की एक कसक बाकी थी.
तुझे छू भी न पाया, यह चुभन बाकी थी.
तेरे मेरे मिलने की रुत कब आई और कब चली गयी,
धीमी धीमी वो मुस्कान एक क्षण में ही झड़  गयी.

मेरी मजबूरी को मैं जड़ से काट देना चाहता था,
तेरे-मेरे बीच की हर दीवार तोड़ देना चाहता था.
पाँव में चुभे कांटे मैं पीछे छोड़ आया था,
फिर उस मोड़ से गुजरना क्यों मेरी किस्मत में था?

तेरी चाहत जब-जब मेरी रहत को आती थी,
इतना तडपाती थी पर दर्द चूम ले जाती थी.
मेरे प्यार का यह वादा कभी नहीं टूटेगा,
रोया मैं तब-तब तू याद जब-जब आती थी.

Saturday, May 15, 2010

तू है...

मेरी ख़ुशी की वजह तू है, मेरी रात और मेरी सुबह तू है.
रब से और क्या मांगू  मैं, आज मेरी हर रज़ा भी तू है.
तेरे आँगन में खुशियाँ बिखेरूं, हंसीं तेरे लब पर सजा दूं
इस कठिन राह पर चला जा रहा, पर मेरी मंजिल भी तू है.

मेरे दिल में जब जब, तेरी तस्वीर बन के आती है,
तू माने या न माने, मेरी धड़कन रुक सी जाती है
तेरे मीठे बोल मेरी हर रग में बस गए हैं.
तू मेरी ज़रूरत, और मेरी इबादत भी तू है.

तूने इतना तो जाना होगा, मेरे दिल में है मोहब्बत कितनी,
और कितनी दूरी पड़ी है, अब साथ चलना हमने है.
तेरे हर कदम की आहट से, हर दम भरना हमनें है.
तू मेरी उम्मीद है, और मेरी हमसफ़र भी तू है.
A Promise to Remember

Monday, May 10, 2010

तेरा साथ होना मेरे जीने का कारण है.

तुझे चाहने की वजह जाने क्या है ?
सोचता हूँ कभी मेरी मंजिल क्या है ?
मेरा जीना तेरे साथ होने का कारण है,
या फिर तेरा साथ होना मेरे जीने का कारण है.

तू सामने नहीं फिर क्यों दिल खामोश है?
धड़कन है थमी और सांसें भी मदहोश हैं.
निगाहों की कशमकश हर वक़्त होती है.
तेरा साथ न होना भी इस दिल्लगी का कारण है.

मेरी ज़िन्दगी में तेरा आना संयोग तो नहीं.
साजिश ये खुदा की है, मेरा इस में दोष नहीं.
अब तेरे साथ के अलावा, कोई और मैं चाहूँ नहीं.
तेरा खाबों में आना भी मेरी दीवानगी का कारण है.

पहले भी बहुत बार ये दिल धड़का था.
सपनो में मेरे कोई चेहरा चमका था.
तेरे चेहरे की चमक के आगे सब फीका पड़ गया.
तेरी मीठी आवाज़ भी मेरी बेहोशी का कारण है.

ज़माने के रंगों में रंग देखे कई हमने.
साथ जीने साथ मरने के वादे किये हमने.
तेरा हाथ थामा, और कदम आगे बढ़ रहे हैं.
तेरा साथ होना ही मेरे जीने का कारण है.

Friday, April 30, 2010

फिर मुस्कुराना है...

आज झूम के मुझको तेरी बाहों में गिर जाने दे,
आँखें बंद कर के मुझे फिर मुस्कुराने दे।

सदियाँ बीत गयी हमें तेरे दामन में सोये,
तेरे छूने के अहसास को है यादों में सँजोये।

तेरे जाने के दिन से आँखे होश में नहीं आई,
एक तरफ तेरा साया और तेरी यादों की परछाई।

वो पहली मुलाक़ात आज भी है नज़रों में,
मुड़ मुड़ के आती है तू आज भी मेरे सपनो में।

सोचा था तुझे भूलना आसान बहुत होगा,
पर एक बार फिर किस्मत ने किया है धोखा।

हमारे इश्क के चर्चे आज भी शहर में होते हैं,
आज भी तेरे ख़त मेरे सीने लग-लग रोते हैं।

दिल बैठ जाता है जब सोचते हैं तेरे बारे,
हर शक्स लगता अजनबी, हर गली हर चौबारे।

बारिश में जब तू छत पर मिलने आती थी,
तेरी पायल की छन छन पानी में भी आग लगाती थी

तुझे वापस बुलाने को हर हद से गुज़र जाना है,
तेरी बाहों में गिर के मुझे फिर मुस्कुराना है।

Wednesday, April 7, 2010

याद...

आज फिर से तेरी याद मेरी आँखों को छू गयी,
तेरी वो हर बात, फिर दिल में उतर गयी।
सोचा था तुझको भूलना, आसान बहुत होगा,
तू याद बन कर आई, और आँखें छलक गयी।

पागल किया था तूने पहली मुलाक़ात में,
तू ही तू थी छायी, दिन में और रात में।
दिल में बसी थी तू, तुझे पाने का जूनून था,
देख तेरी मुस्कान, मेरी ज़िन्दगी बदल गयी।

आज भी करता हूँ उस दिन की मैं चाहत,
चलेंगी मेरी सांसें, सुन के तेरी आहट।
तेरी पायल की छन-छन मेरे कानों में पड़ गयी,
और आज मेरी रूह मेरे तन से निकल गयी।

Wednesday, March 31, 2010

इज़हार नहीं मिलता...

जाने क्यों बन गए तेरे इश्क में दीवाने,
बड़े प्यार से संभाले हैं सभी तेरे परवाने।
समझ न सके थे इस मोहब्बत को अब तक,
तेरे इश्क से थे हम बिलकुल ही अनजाने।

बदनसीब वो नहीं जिन्हें प्यार नहीं मिलता,
मिलता है प्यार पर इज़हार नहीं मिलता।
बिखरे रहते हैं पलाश के फूल हर तरफ,
ज़िन्दगी भर वो गुलाब नहीं मिलता।

खुद से खुद ही छिन जाते हैं आजकल,
ख़याल उनके रुलाते हैं आजकल।
लोग कहते हैं कि बात क्या है?
कैसे बताएं, कितने तन्हा हैं आजकल?

इस इश्क ज़ालिम ने, कहीं का न छोड़ा,
नज़रों से दूर, दिल के करीब एक रिश्ता जोड़ा।
डूबे हैं उनकी याद, उनके प्यार में,
हुआ है प्यार और बाकी है थोडा।

Tuesday, March 30, 2010

इश्क का दर्द...

इस दिल ने हमें बहुत आज़माया है,
कभी है हसाया, कभी कभी रुलाया है।
दिन का छीना चैन और रातों को जगाया है,
आज किया याद उन्हें, तो यह गीत गाया है।

बेबस हैं हम, लाचार उनको पाया है,
हर घड़ी-हर लम्हा, जान पर बन आया है।
हर दिन बढ़ रही है चाहत यह, दीवाने हम हुए,
सिर्फ हम ही जानते हैं, इस दिल पे काबू कैसे पाया है।

उस दिन का इंतज़ार तो यह कुदरत भी करती होगी,
आमने सामने, बैठे हम दो, और चाँद निकल के आया है।
इस नादान ज़माने को कैसे हम समझाएं,
उस यार के चेहरे में, वो प्यार हमनें पाया है।