Friday, April 30, 2010

फिर मुस्कुराना है...

आज झूम के मुझको तेरी बाहों में गिर जाने दे,
आँखें बंद कर के मुझे फिर मुस्कुराने दे।

सदियाँ बीत गयी हमें तेरे दामन में सोये,
तेरे छूने के अहसास को है यादों में सँजोये।

तेरे जाने के दिन से आँखे होश में नहीं आई,
एक तरफ तेरा साया और तेरी यादों की परछाई।

वो पहली मुलाक़ात आज भी है नज़रों में,
मुड़ मुड़ के आती है तू आज भी मेरे सपनो में।

सोचा था तुझे भूलना आसान बहुत होगा,
पर एक बार फिर किस्मत ने किया है धोखा।

हमारे इश्क के चर्चे आज भी शहर में होते हैं,
आज भी तेरे ख़त मेरे सीने लग-लग रोते हैं।

दिल बैठ जाता है जब सोचते हैं तेरे बारे,
हर शक्स लगता अजनबी, हर गली हर चौबारे।

बारिश में जब तू छत पर मिलने आती थी,
तेरी पायल की छन छन पानी में भी आग लगाती थी

तुझे वापस बुलाने को हर हद से गुज़र जाना है,
तेरी बाहों में गिर के मुझे फिर मुस्कुराना है।

Wednesday, April 7, 2010

याद...

आज फिर से तेरी याद मेरी आँखों को छू गयी,
तेरी वो हर बात, फिर दिल में उतर गयी।
सोचा था तुझको भूलना, आसान बहुत होगा,
तू याद बन कर आई, और आँखें छलक गयी।

पागल किया था तूने पहली मुलाक़ात में,
तू ही तू थी छायी, दिन में और रात में।
दिल में बसी थी तू, तुझे पाने का जूनून था,
देख तेरी मुस्कान, मेरी ज़िन्दगी बदल गयी।

आज भी करता हूँ उस दिन की मैं चाहत,
चलेंगी मेरी सांसें, सुन के तेरी आहट।
तेरी पायल की छन-छन मेरे कानों में पड़ गयी,
और आज मेरी रूह मेरे तन से निकल गयी।